बच्चों का मन मजबूत करेंगे मनदूत व मनपरी
जिले के 71 स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मानसिक तनाव से बचाने की कवायद शुरू हो गई है। इन स्कूलों में छात्रों के बीच मनदूत व मनपरी चुने जाएंगे। मनदूत व मनपरी ही मानसिक तनाव से जूझ रहे साथियों की पहचान करेंगे। इसको लेकर मंगलवार को जिले के 71 स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई।
इन स्कूलों के नोडल शिक्षकों को सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी की मौजूदगी में प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित शाही ने बताया कि 50 फीसदी मानसिक रोगों की शुरुआत किशोरावस्था में 13 से 19 वर्ष के बीच होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वे के अनुसार 7.5 फीसदी लोग मानसिक रोग से ग्रसित हैं, जबकि 50-60 फीसदी लोग तनाव में रहते हैं। ऐसे में अगर अध्ययन काल में ही मानसिक रोगों पर ध्यान दिया जाए तो हालात बदल सकते हैं।
साइकोलॉजिस्ट रमेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि देश में दस हजार लोगों में से 20 लोग ऑटिज्म के शिकार हैं। वहीं 1 से 12 प्रतिशत बच्चों में एडीएचडी (बच्चों की एकाग्र से जुड़ी बीमारी) की समस्या है और यह बीमारी प्रायः 7 वर्ष से 12 वर्ष की अवस्था के बीच में होती है। उन्होंने लाइफ स्किल्स के माध्यम से बच्चों में अवसाद, आत्महत्या व अन्य मानसिक बीमारियों की रोकथाम के बारे में भी जानकारी दी।
छात्रों में बनाएंगे मनदूत व मनपरी
सीएमओ ने प्रशिक्षित शिक्षकों से अपील की कि वह बच्चों को इस प्रकार का वातावरण प्रदान करें जिससे वह खुल कर अपनी बात रख सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यालय में छात्रों के बीच से मनदूत व मनपरी ढूंढ कर उन्हें प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद मनदूत व मनपरी ही साथी छात्र-छात्रा में आत्महत्या, अवसाद या मानसिक रोग की प्रवृत्ति दिखने पर शिक्षक को सूचित करेंगे। राष्ट्रीय मानसिक रोग कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आईवी विश्वकर्मा ने कहा कि आने वाले समय में गैर संचारी रोगों की समस्या बढ़ेगी। मानसिक रोग भी एक प्रमुख गैर संचारी बीमारी के तौर पर उभर रहा है।